साहित्य एवं कला विमर्श
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E-expression is an independent platform for literature and art discussion, which is a participant in the sacrifice of selfless literary creation. E-expression was established on 15 October 2018. In this entire journey, the blessings received by Dr. Rajkumar Tiwari 'Sumitra' ji - context: expression continued to guide us and will continue to do so in the future as well.
साहित्य एवं कला विमर्श
17h ago
श्री संजय भारद्वाज
(“साप्ताहिक स्तम्भ – संजय उवाच “ के लेखक श्री संजय भारद्वाज जी – एक गंभीर व्यक्तित्व । जितना गहन अध्ययन उतना ही गंभीर लेखन। शब्दशिल्प इतना अद्भुत कि उनका पठन ही शब्दों – वाक्यों का आत्मसात हो जाना है।साहित्य उतना ही गंभीर है जितना उनका चिंतन और उतना ही उनका स्वभाव। संभवतः ये सभी शब्द आपस में संयोग रखते हैं और जीवन के अनुभव हमारे व्यक्तित्व पर अमिट छाप छोड़ जाते हैं।श्री संजय जी के ही शब्दों में ” ‘संजय उवाच’ विभिन्न विषयों पर चिंतनात्मक (दार्शनिक शब्द बहुत ऊँचा हो जाएगा) टिप्पणियाँ हैं। ईश्वर की अनुकम्पा से आपको  ..read more
साहित्य एवं कला विमर्श
17h ago
Captain (IN) Pravin Raghuvanshi, NM
Anonymous Litterateur of Social Media # 190 (सोशल मीडिया के गुमनाम साहित्यकार # 190)
Captain Pravin Raghuvanshi NM—an ex Naval Officer, possesses a multifaceted personality. He served as a Senior Advisor in prestigious Supercomputer organisation C-DAC, Pune. An alumnus of IIM Ahmedabad was involved in various Artificial and High-Performance Computing projects of national and international repute. He has got a long experience in the field of ‘Natural Language Processing’, especially, in the domain of Machine Translation. He has taken the mantle of tra ..read more
साहित्य एवं कला विमर्श
17h ago
डॉ कुंदन सिंह परिहार
(वरिष्ठतम साहित्यकार आदरणीय डॉ कुन्दन सिंह परिहार जी का साहित्य विशेषकर व्यंग्य एवं लघुकथाएं ई-अभिव्यक्ति के माध्यम से काफी पढ़ी एवं सराही जाती रही हैं। हम प्रति रविवार उनके साप्ताहिक स्तम्भ – “परिहार जी का साहित्यिक संसार” शीर्षक के अंतर्गत उनकी चुनिन्दा रचनाएँ आप तक पहुंचाते रहते हैं। डॉ कुंदन सिंह परिहार जी की रचनाओं के पात्र हमें हमारे आसपास ही दिख जाते हैं। कुछ पात्र तो अक्सर हमारे आसपास या गली मोहल्ले में ही नज़र आ  ..read more
साहित्य एवं कला विमर्श
17h ago
श्री रामदेव धुरंधर
(ई-अभिव्यक्ति में मॉरीशस के सुप्रसिद्ध वरिष्ठ साहित्यकार श्री रामदेव धुरंधर जी  ..read more
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17h ago
Shri Ashish Mulay
The Grey Lights# 48
☆ – “Future Lover”– ☆ Shri Ashish Mulay ☆
☆
have you found my words
oh my future reader?
have you found me
oh my dear lover?
but do not accept me
as I am presented
clothes of my words
must be time tainted
wash me with waters
of your stranger eyes
below the ornaments
there my heart lies
they will turn my lines
into the borders
not the swords
but I sowed the flowers
see me for yourself
and not as they show you
I never hated you
whoever may be you
if you are all alone
in your future world
you have found me
j ..read more
साहित्य एवं कला विमर्श
19h ago
आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’
(आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’ जी संस्कारधानी जबलपुर के सुप्रसिद्ध साहित्यकार हैं। आपको आपकी बुआ श्री महीयसी महादेवी वर्मा जी से साहित्यिक विधा विरासत में प्राप्त हुई है । आपके द्वारा रचित साहित्य में प्रमुख हैं पुस्तकें- कलम के देव, लोकतंत्र का मकबरा, मीत मेरे, भूकंप के साथ जीना सीखें, समय्जयी साहित्यकार भगवत प्रसाद मिश्रा ‘नियाज़’, काल है संक्रांति का, सड़क पर आदि। संपादन -८ पुस्तकें ६ पत्रिकाएँ अनेक संकलन। आप प्रत्येक सप्ताह रविवार को “साप्ताहिक स्तम्भ – सलिल प्रवाह” के अंतर्गत आपकी रचनाएँ आत्मसात कर सकेंगे।  ..read more
साहित्य एवं कला विमर्श
19h ago
ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय
विज्ञान की अन्य विधाओं में भारतीय ज्योतिष शास्त्र का अपना विशेष स्थान है। हम अक्सर शुभ कार्यों के लिए शुभ मुहूर्त, शुभ विवाह के लिए सर्वोत्तम कुंडली मिलान आदि करते हैं। साथ ही हम इसकी स्वीकार्यता सुहृदय पाठकों के विवेक पर छोड़ते हैं। हमें प्रसन्नता है कि ज्योतिषाचार्य पं अनिल पाण्डेय जी ने ई-अभिव्यक्ति के प्रबुद्ध पाठकों के विशेष अनुरोध पर साप्ताहिक राशिफल प्रत्येक शनिवार को साझा करना स्वीकार किया है। इसके लिए हम सभी आपके हृदयतल से आभारी हैं। साथ ही हम अपने पाठकों से भी जानना चाहेंगे कि इस स्तम्भ के बारे में उनकी क्या राय है ?  ..read more
साहित्य एवं कला विमर्श
19h ago
सौ विजया कैलास हिरेमठ
कवितेचा उत्सव
☆ “सुख म्हणजे…” ☆ सौ विजया कैलास हिरेमठ  ..read more
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19h ago
सौ. उज्वला सुहास सहस्रबुद्धे
कवितेचा उत्सव
☆ गोपीकृष्ण… ☆ सौ. उज्वला सुहास सहस्रबुद्धे ☆
☆
*गोपीकृष्ण
नदीच्या काठावर,
झऱ्याच्या पाण्यात ,
निळाई अंगावर,
पांघरून संगत ….१
*
मनाला भुरळ,
घाली तो सतत!
देतोस तू जणू,
कृष्णसख्या साथ!….२
*
झाडांची सावली,
पाण्यात हिरवाई,
जळाच्या आरशात,
मोरपिसे कृष्णाई!…३
*
गोपी येती साथीला,
दंग झाल्या लीलेत,
कृष्णाच्या संगतीत,
धुंद होऊन नाचत!….४
*
रास रंगे गोकुळी ,
गोकुळ होई सुखी!
नवनीत देती गोपी,
कृष्णाच्या गोड मुखी.!…५
*
येई सांज सकाळ,
घेऊन रंग सोनेरी,
आनंद देई मला,
  ..read more
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19h ago
श्री संदीप रामचंद्र सुंकले ‘दास चैतन्य’
विविधा
☆ जीवन जगण्याची कला : अध्यात्म – भाग २ ☆ श्री संदीप रामचंद्र सुंकले ‘दास चैतन्य’☆
(सर्वप्रथम आपले एकमत आहे ना की आपल्याला आपल्या जीवनात आनंद हवा आहे. सर्वाना मान्य असेल तर आपण पुढे जाऊ. धन्यवाद.)….
आपला आजचा विषय आहे जीवन जगण्याची कला:- अध्यात्म !! अर्थात कोणतीही कला शिकायची असेल तर ती शिकण्यासाठी काही नियम असणे स्वाभाविक आहे.
१. ही सृष्टी निसर्गनियमानुसार चालते
२. आपण सुद्धा यासृष्टीचे एक अविभाज्य घटक आहोत.
३.’पिंडी ते ब्रह्मांडी’ या न्यायाने वरील सर्व नियम मलाही तंतोतंत लागू होतात.
४. मी आजपासून दृढनिश्चय  ..read more