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3y ago
फरवरी 2021 में आएंगे ये व्रत व त्यौहार :-भारत के प्रत्येक समाज या प्रांत के अलग-अलग त्योहार, उत्सव, पर्व, परंपरा और रीतिरिवाज हैं जिन्हें लोग बड़ी ही हर्षोल्लास से मनाते हैं। कई त्यौहार ऐसे होते हैं जिनकी उत्पत्ति का उल्लेख स्थानीय परम्परा, व्यक्ति विशेष या संस्कृति से न होकर वैदिक धर्मग्रंथ, धर्मसूत्र और आचार संहिता में मिलता है। त्यौहार चाहें किसी भी समुदाय के हो लेकिन आजकल हर समुदाय का व्यक्ति हर त्यौहार मनाता है। इस वर्ष के सभी त्यौहार और पर्व समाप्त हो चुके हैं। फरवरी 2021 ..read more
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3y ago
प्रदोष व्रत 2021 :- 2021 शुरू होते ही व्रत और त्योहारों का सिलसिला भी शुरू हो जाएगा। हिंदू धर्म में व्रत और त्योहारों का विशेष महत्व होता है। ऐसे में हम आपको बता रहे हैं साल 2021 में पड़ने वाले प्रदोष व्रत के बारे में। हिंदू पंचांग के अुसार, हर माह के शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को प्रदोष व्रत होता है। प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव के साथ उनके परिवार की पूजा की जाती है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, प्रदोष व्रत के दिन शिव चालीसा, शिव पुराण और शिव मंत्रों का जाप करना शुभ होता है।
जानिए साल 2021 में आने वाले प्रदोष व्रत की पूरी लिस्ट-
10 जनवरी- प्रदोष व्रत
26 जनवरी- भौम प्रदोष व्रत
09 ..read more
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4y ago
अन्नपूर्णा शाबर मन्त्र :-
आज के इस आधुनिक युग और आर्थिकी परिवेश में सम्पन्न आर्थिक स्थिति वालो को अधिक मान्यता, सम्मान दिया जाता हैं | मानव का कोई मूल्य ही नहीं रहा, धन, दौलत ही मुख्य सर्वश्री का स्थान ले चुकी हैं |
जिस इन्सान के पास धन का आभाव हैं, वो खुद ही अपनी आर्थिक स्थिति से परेशान हैं, घर का खर्चा, ये लाना, वो लाना, उसका कर्जा, इसका कर्जा ना जाने किस किस की परेशानी पाल रखी हैं वो भी केवल “धन” आधारित | बिना धन के इन्सान कुछ सोचने, करने लायक नहीं रहता, सोच सकता हे तो धन की टेंसन परेशान करती हैं | कुछ भी हो आज इन्सान के जीवन में इन्सान, रिश्तो से ज्यादा “धन” की अहमियत हैं | अगर आपके पास धन ..read more
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4y ago
कमल फूल का महत्व :- पूरे विश्व में कमल को अपनी अद्भुत सुंदरता के लिए जाना जाता है। कमल जहां अपनी सुंदरता के लिए विख्यात है तो वहीं अपने कई अन्य गुणों के लिए भी प्रसिद्ध है। कमल का वैज्ञानिक नाम नेलुम्बो न्यूसीफेरा है तथा इसकी गुलाबी फूलों वाली प्रजाति को भारत के राष्ट्रीय पुष्प के रूप में सुशोभित किया गया है। विभिन्न देशों में कमल को पवित्रता, सुंदरता, ऐश्वर्य, अनुग्रह, प्रजनन क्षमता, धन, समृद्धि, ज्ञान और शांति का प्रतीक माना जाता है। इसके कई अन्य नाम भी हैं जिनमें पवित्र कमल, भारतीय कमल और पवित्र जल-लिली इत्यादि शामिल हैं।
हिंदू धर्म में मान्यता है कि देवी-देवता कमल के सिंहासन पर ही विराजमान ..read more
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4y ago
यम नचिकेता की कथा :- नचिकेता और यमराज के बीच हुए संवाद का उल्लेख हमें कठोपनिषद में मिलता है।
शाम का समय था। पक्षी अपने-अपने घोसले की ओर लौट रहे थे, पर वह बढ़ा जा रहा था, बिना किसी थकान और पछतावे के। उसे अपनी मंजिल तक पहुंचना ही था। यही उसके पिता की आज्ञा थी। उसका लक्ष्य था यमपुरी। वही यमपुरी, जहां यमराज निवास करते थे। उसे यमराज से ही मिलना था। यही उसके पिता का आदेश था।
लगातार तीन पहर तक चलने के बाद वह यमपुरी के द्वार पर जा पहुंचा। वहां पर दो यमदूत पहरा दे रहे थे।
उन्होंने जब उस बालक को देखा तो आश्चर्यचकित रह गए। कौन है यह बालक, जो मौत के मुंह में चला आया? दोनों सोचने लगे। उसमें से एक यमदूत ने ..read more
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4y ago
श्री गिरिराज गोवर्धन की कथा :- जब भगवान पृथ्वी पर अवतार लेने वाले थे तब भगवान ने गौलोक को नीचे पृथ्वी पर उतरा और गोवर्धन पर्वत ने भारतवर्ष से पश्चिमी दिशा में शाल्मली द्वीप के भीतर द्रोणाचल की पत्नी के गर्भ से जन्म ग्रहण किया।
एक समय मुनि श्रेष्ठ पुलस्त्य जी तीर्थ यात्रा के लिए भूतल पर भ्रमण करने लगे उन्होंने द्रोणाचल के पुत्र श्यामवर्ण वाले पर्वत गोवर्धन को देखा उन्होंने देखा कि उस पर्वत पर बड़ी शान्ति है। जब उन्होंने गोवर्धन कि शोभा देखी तो उन्हें लगा कि यह तो मुमुक्षुओ के लिए मोक्ष प्रद प्रतीत हो रहा है।
मुनि उसे प्राप्त करने के लिए द्रोणाचल के समीप गए पुलस्त्य जी ने कहा – द्रोण तुम पर्वतों ..read more
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4y ago
एक ही गोत्र में विवाह क्यों नहीं करना चाहिए :-गोत्र में शादी वैदिक तथा धार्मिक दोनों दृष्टिकोण से वर्जित माना गया है | गौत्र शब्द का अर्थ होता है वंश/कुल । गोत्र प्रणाली का मुख्या उद्देश्य किसी व्यक्ति को उसके मूल प्राचीनतम व्यक्ति से जोड़ना है |
एक ही गोत्र में विवाह क्यों नहीं करना चाहिए – धार्मिक मान्यता
मनुष्य (चाहे पुरुष हो, चाहे स्त्री) में माता-पिता के रजःवीर्य के सम्बन्ध के कारण सन्तान रूप में शारीरिक रक्त आदि अंश अवश्य परम्परया पहुँचते हैं। यह आयुर्वेद का विशुद्ध वैज्ञानिक सिद्धान्त है। इस कारण समान रजः$वीर्य के मिलने में सन्तान में कुछ विशेषता उत्पन्न नहीं होती और भाई-बहिन आदि अनेक स ..read more
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4y ago
स्नान की विधि :- स्नान की विधि प्रात: स्मरण करने के बाद शौच (मलत्याग) आदि से निवृत्त होकर दन्तधावन करें ।
दन्तधावनस्तुतिः
आयुर्बल यशो वर्चः प्रजाः पशुवसूनि च ।
ब्रह्म प्रज्ञां च मेधां च त्वन्नो देहि वनस्पते! ॥
पश्चात् शौच का वस्त्र बदल कर गङ्गा आदि नदी में जाकर स्नान करें ।
स्नान की विधि सङकल्प:
स्नान करने के लिये इस प्रकार सङकल्प करें—
ॐ विष्णुर्विष्णुर्विष्णु: श्रीमद्भगवतो महापुरुपस्य विष्णोराज्ञया प्रवर्त्तमानस्याद्य श्रीब्रह्मणोऽह्नि द्वितीयपरा्र्द्धे श्रीश्वेतवाराहकल्पे वैवस्वतमन्वन्तरे अष्टाविंशतितमे कलियुगे कलिप्रथमचरणे जम्बूद्वीपे भरतखण्डे भारतवर्षे कुमारिकाखण्डे आर्यावर्त्तैकदेशे अमुक ..read more
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4y ago
सन्ध्योपासन विधि :- महाभारत आश्वमेधिक पर्व के वैष्णव धर्म पर्व के अंतर्गत अध्याय 92 ..read more