हिन्दी कक्ष
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Hindi Kaksh blog provides critical and useful information on Hindu religious festivals, vows, celebrations as well as various worship ceremonies. You will also find famous stories, temple histories, and more from Hindu mythology. The aim is to facilitate information through the Hindi language.
हिन्दी कक्ष
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उत्पन्ना एकादशी का महत्व
मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को उत्पन्ना एकादशी कहते है। शास्त्रों में इस एकादशी को सौ अश्वमेध यज्ञों के समान पुण्यफल देने वाली बताया गया है।
इसी दिन एकादशी माता का अवतरण हुआ था। इसलिये एकादशी के व्रत का प्रारंभ इसी एकादशी से किया जाता है।
उत्पन्ना एकादशी व्रत कथा
युधिष्ठिर बोले, हे कृष्ण! कृप्या हमे मार्गशीर्ष की कृष्ण एकादशी का महात्मय सुनाईये। इसका क्या नाम है तथा क्या मह्त्व है?
श्री कृष्ण बोले, हे राजन! मार्गशीर्ष माह की कृष्ण एकादशी का नाम उत्पन्ना एकादशी है। यह सभी एकादशियों में विशिष्ठ है।  ..read more
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पापांकुशा एकादशी का महत्व
आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को पापांकुशा एकादशी कहते है। इस दिन भगवान पद्मनाभ की पूजा की जाती है।
यह एकादशी मनुष्य के सभी पापों को नष्ट कर के विष्णु लोक का अधिकारी बनाती है। इस व्रत के प्रभाव से महापातक भी नर्क गामी नही होते है तथा उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है।
पद्म पुराण में भगवान कृष्ण ने इस एकादशी की महिमा का वर्णन किया है। भगवान कहते है कि इस व्रत को करने से मनुष्य की अग्रिम दस पीड़ियों का उद्धार हो जाता है।  ..read more
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भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने के लिये सोमवार के दिन उनकी उपासना करने का विशेष मह्त्व है। सोमवार के व्रत तीन प्रकार होते है। प्रति सोमवार, सोम प्रदोष तथा सोलह सोमवार।
इन सब में सोलह सोमवार के व्रतों का विशेष मह्त्व है। यह लगातार सोलह सोमवार तक रखें जाते है तथा सत्रहवें सोमवार को इनका उद्यापन कर दिया जाता है।
यह किसी विशेष इच्छा या कार्य सिद्धि के लिये रखे जाते है। इन व्रतों का पालन करने से निश्चय ही कार्य सिद्ध हो जाता है। यह दूसरे सोमवारो के व्रतों से थोड़ा कठिन होते है।   ..read more
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सावन का महत्व
श्रावण माह हिन्दू वर्ष का पाँचवा माह है। इसे आम भाषा में सावन कहते है। यह माह वर्षा ऋतु के प्रारंभ होने की सूचना देता है इसलिये इस माह में पूरी प्रकृति धवल हरियाली से हरी-भरी हो जाती है।
वर्षा ऋतु के सौंदर्य के लिये तो यह माह प्रसिद्ध है ही, लेकिन साथ ही यह माह भगवान शिव की पूजा का विशेष माह भी है।   ..read more
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शनिदेव का परिचय
शनिवार के दिन शनि ग्रह की पूजा का दिन है। पौराणिक कथाओं के अनुसार शनिदेव सूर्यदेव के पुत्र है। इनका स्वभाव अति क्रोधी है। शनि की गति सभी ग्रहों से धीमी है, शनि ग्रह को सूर्य की एक परिक्रमा लगाने में 30 वर्ष का समय लग जाता है।
शनि की साड़सती के प्रति लोगो में जितना भय देखा जाता है, उतना किसी भी अन्य ग्रह की दशा के प्रति नही दिखाई देता। शनि की दृष्टि वक्री कही जाती है।
रामायण की कथा के अनुसार हनुमान जी ने रावण की कैद से शनिदेव को मुक्त कराया था।  ..read more
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माता लक्ष्मी तीन महादेवियों में से एक है, यह भगवान विष्णु की शक्ति कहलाती है। इन्हीं की कृपा से सन्सार के मनुष्यों को जीवन के सभी सुख प्राप्त होते है।
माता लक्ष्मी के आठ रूप है जिन्हें अष्ट लक्ष्मी कहा जाता है। यह आठो रूप मनुष्य को विभिन्न प्रकार के सुख प्रदान करते है, लक्ष्मी जी के इन्हीं आठ रूपों में से एक रूप है, धन लक्ष्मी।
धन लक्ष्मी को वैभव लक्ष्मी भी कहते है। माता वैभव लक्ष्मी धन-सम्पत्ति का सुख प्रदान करती है, जीवन में वैभव प्रदान करती है।  ..read more
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शुक्रवार का दिन संतोषी माता तथा लक्ष्मी माता दोनो की पूजा का विशेष दिन है। इस लेख में हम संतोषी माता व्रत की चर्चा करेंगे।
इस दिन संतोषी माता का व्रत रखने वाले भक्तो की सभी मनोवान्छित कामनाएं पूर्ण होती है। संतोषी माता दुर्गा माता का ही एक रूप है। यह देवी का सबसे सौम्य रूप माना जाता है।
संतोषी माता के व्रत के बारे में माना जाता है कि इन व्रतों को करने से तीन माह के भीतर मनुष्य की इच्छा पूरी हो जाती है, परंतु यदि भाग्य साथ न दे, तो एक वर्ष तक व्रत करने से अवश्य ही अभीष्ट की प्राप्ति होती है।   ..read more
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बृहस्पतिवार व्रत का महत्व
बृस्पतिवार का दिन भगवान विष्णु तथा बृहस्पति ग्रह की पूजा का दिवस है। बृहस्पति ग्रह को गुरु ग्रह भी कहते है क्योंकि पौराणिक कथाओं के अनुसार वह देवताओं तथा ग्रहों के गुरु माने जाते है।
बृहस्पति ग्रह के नाम पर ही इस दिन को बृहस्पतिवार या गुरुवार कहते है। इस दिन अपनी कुंडली में बृहस्पति ग्रह को प्रभावशाली बनाने के लिये विष्णु जी की तथा बृहस्पति ग्रह की पूजा की जाती है।
वैसे तो बृहस्पति ग्रह व्यक्ति की कुंडली में विद्या का निर्धारण करता है।  ..read more
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बुधवार व्रत का महत्व
सप्ताह के सभी दिनों के नाम ग्रहों के नाम पर आधारित है। सप्ताह के तीसरे दिन बुधवार के दिन का नाम बुद्ध ग्रह के नाम पर आधारित है।
बुद्धवार का व्रत कुंडली में बुद्ध ग्रह के शुभ प्रभाव की प्राप्ति के लिये किया जाता है। बुद्ध ग्रह मनुष्य की बुद्धि को प्रभावित करता है। अर्थात, उत्तम बुद्धि के लिये कुंडली में बुद्ध ग्रह का सकारात्मक प्रभाव होना आवश्यक है।
बुद्धि के बिना मनुष्य पशु के समान है, इसलिये अपनी बुद्धि को उन्नत करने के लिये बुद्ध देव की पूजा तथा व्रत किया जाता है।   ..read more
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हर मास की अन्तिम तिथि पूर्णिमा कहलाती है। इस दिन चन्द्र देव अपनी सोलह कलाओं सहित आकाश में उपस्थित होते है। यह तिथि व्रत-पूजा, तीर्थ यात्रा तथा पवित्र नदियों में स्नान के लिये अति शुभ मानी जाती है।
पूर्णिमा भगवान विष्णु की प्रिय तिथि है, इसलिये इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। इस दिन भगवान विष्णु के सत्यनारायण रूप की पूजा की जाती है। भगवान विष्णु का यह रूप मनुष्य को सत्य का पालन करना सिखाता है।   ..read more