उत्पन्ना एकादशी की कथा और व्रत विधि
हिन्दी कक्ष
by Asha chauhan
6M ago
उत्पन्ना एकादशी का महत्व मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को उत्पन्ना एकादशी कहते है। शास्त्रों में इस एकादशी को सौ अश्वमेध यज्ञों के समान पुण्यफल देने वाली बताया गया है।  इसी दिन एकादशी माता का अवतरण हुआ था।   इसलिये एकादशी के व्रत का प्रारंभ इसी एकादशी से किया जाता है।   उत्पन्ना एकादशी व्रत कथा युधिष्ठिर बोले, हे कृष्ण! कृप्या हमे मार्गशीर्ष की कृष्ण एकादशी का महात्मय सुनाईये।  इसका क्या नाम है तथा क्या मह्त्व है? श्री कृष्ण बोले, हे राजन!  मार्गशीर्ष माह की कृष्ण एकादशी का नाम उत्पन्ना एकादशी है।  यह सभी एकादशियों में विशिष्ठ है।  ..read more
Visit website
पापांकुशा एकादशी की कथा और व्रत विधि
हिन्दी कक्ष
by Asha chauhan
6M ago
पापांकुशा एकादशी का महत्व आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को पापांकुशा एकादशी कहते है।  इस दिन भगवान पद्मनाभ की पूजा की जाती है।   यह एकादशी मनुष्य के सभी पापों को नष्ट कर के विष्णु लोक का अधिकारी बनाती है।  इस व्रत के प्रभाव से महापातक भी नर्क गामी नही होते है तथा उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है।  पद्म पुराण में भगवान कृष्ण ने इस एकादशी की महिमा का वर्णन किया है।  भगवान कहते है कि इस व्रत को करने से मनुष्य की अग्रिम दस पीड़ियों का उद्धार हो जाता है।  ..read more
Visit website
सोलह सोमवार व्रत की कथा, व्रत विधि और उद्यापन विधि
हिन्दी कक्ष
by Asha chauhan
6M ago
भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने के लिये सोमवार के दिन उनकी उपासना करने का विशेष मह्त्व है।  सोमवार के व्रत तीन प्रकार होते है।  प्रति सोमवार, सोम प्रदोष तथा सोलह सोमवार।  इन सब में सोलह सोमवार के व्रतों का विशेष मह्त्व है।  यह लगातार सोलह सोमवार तक रखें जाते है तथा सत्रहवें सोमवार को इनका उद्यापन कर दिया जाता है।   यह किसी विशेष इच्छा या कार्य सिद्धि के लिये रखे जाते है।  इन व्रतों का पालन करने से निश्चय ही कार्य सिद्ध हो जाता है।  यह दूसरे सोमवारो के व्रतों से थोड़ा कठिन होते है।   ..read more
Visit website
सावन के सोमवार व्रत का मह्त्व
हिन्दी कक्ष
by Asha chauhan
6M ago
सावन का महत्व श्रावण माह हिन्दू वर्ष का पाँचवा माह है।   इसे आम भाषा में सावन कहते है।   यह  माह वर्षा ऋतु के प्रारंभ होने की सूचना देता है इसलिये इस माह में पूरी प्रकृति धवल हरियाली से हरी-भरी हो जाती है।   वर्षा ऋतु के सौंदर्य के लिये तो यह माह प्रसिद्ध है ही, लेकिन साथ ही यह माह भगवान शिव की पूजा का विशेष माह भी है।   ..read more
Visit website
शनिवार व्रत की कथा और व्रत विधि
हिन्दी कक्ष
by Asha chauhan
6M ago
शनिदेव का परिचय शनिवार के दिन शनि ग्रह की पूजा का दिन है।  पौराणिक कथाओं के अनुसार शनिदेव सूर्यदेव के पुत्र है। इनका स्वभाव अति क्रोधी है।   शनि की गति सभी ग्रहों से धीमी है, शनि ग्रह को सूर्य की एक  परिक्रमा लगाने में  30 वर्ष का समय लग जाता है। शनि की साड़सती के प्रति लोगो में जितना भय देखा जाता है, उतना किसी भी अन्य ग्रह की दशा के प्रति नही दिखाई देता।  शनि की दृष्टि वक्री कही जाती है।   रामायण की कथा के अनुसार हनुमान जी ने रावण की कैद से शनिदेव को मुक्त कराया था।  ..read more
Visit website
शुक्रवार के दिन कैसे रखें वैभव लक्ष्मी व्रत
हिन्दी कक्ष
by Asha chauhan
6M ago
माता लक्ष्मी तीन महादेवियों में से एक है, यह भगवान विष्णु की शक्ति कहलाती है।  इन्हीं की कृपा से सन्सार के मनुष्यों को जीवन के सभी सुख प्राप्त होते है।    माता लक्ष्मी के आठ रूप है जिन्हें अष्ट लक्ष्मी कहा जाता है।  यह आठो रूप मनुष्य को विभिन्न प्रकार के सुख प्रदान करते है, लक्ष्मी जी के इन्हीं आठ रूपों में से एक रूप है,  धन लक्ष्मी।   धन लक्ष्मी को वैभव लक्ष्मी भी कहते है।  माता वैभव लक्ष्मी धन-सम्पत्ति का सुख प्रदान करती है,  जीवन में वैभव प्रदान करती है।  ..read more
Visit website
शुक्रवार को कैसे रखे संतोषी माता व्रत
हिन्दी कक्ष
by Asha chauhan
6M ago
शुक्रवार का दिन संतोषी माता तथा लक्ष्मी माता दोनो की पूजा का विशेष दिन है।  इस लेख में हम संतोषी माता व्रत की चर्चा करेंगे।    इस दिन संतोषी माता का व्रत रखने वाले भक्तो की सभी मनोवान्छित कामनाएं पूर्ण होती है। संतोषी माता दुर्गा माता का ही एक रूप है।  यह देवी का सबसे सौम्य रूप माना जाता है।   संतोषी माता के व्रत के बारे में माना जाता है कि इन व्रतों को करने से तीन माह के भीतर मनुष्य की इच्छा पूरी हो जाती है, परंतु यदि भाग्य साथ न दे, तो एक वर्ष तक व्रत करने से अवश्य ही अभीष्ट की प्राप्ति होती है।   ..read more
Visit website
बृहस्पतिवार व्रत की कथा, व्रत विधि तथा उद्यापन विधि
हिन्दी कक्ष
by Asha chauhan
6M ago
बृहस्पतिवार व्रत का महत्व बृस्पतिवार का दिन भगवान विष्णु तथा बृहस्पति ग्रह की पूजा का दिवस है।  बृहस्पति ग्रह को गुरु ग्रह भी कहते है क्योंकि पौराणिक कथाओं के अनुसार वह देवताओं तथा ग्रहों के गुरु माने जाते है।   बृहस्पति ग्रह के नाम पर ही इस दिन को बृहस्पतिवार या गुरुवार कहते है।  इस दिन अपनी कुंडली में बृहस्पति ग्रह को प्रभावशाली बनाने के लिये विष्णु जी की तथा बृहस्पति ग्रह की पूजा की जाती है।   वैसे तो बृहस्पति ग्रह व्यक्ति की कुंडली में विद्या का निर्धारण करता है।  ..read more
Visit website
बुधवार व्रत की कथा और व्रत विधि
हिन्दी कक्ष
by Asha chauhan
6M ago
बुधवार व्रत का महत्व सप्ताह के सभी दिनों के नाम ग्रहों के नाम पर आधारित है। सप्ताह के तीसरे दिन बुधवार के दिन का नाम बुद्ध ग्रह के नाम पर आधारित है।   बुद्धवार का व्रत कुंडली में बुद्ध ग्रह के शुभ प्रभाव की प्राप्ति के लिये किया जाता है।  बुद्ध ग्रह मनुष्य की बुद्धि को प्रभावित करता है।  अर्थात, उत्तम बुद्धि के लिये कुंडली में बुद्ध ग्रह का सकारात्मक प्रभाव होना आवश्यक है।   बुद्धि के बिना मनुष्य पशु के समान है, इसलिये अपनी बुद्धि को उन्नत करने के लिये बुद्ध देव की पूजा तथा व्रत किया जाता है।   ..read more
Visit website
पूर्णिमा के दिन कैसे करें भगवान सत्यनारायण का व्रत
हिन्दी कक्ष
by Asha chauhan
6M ago
हर मास की अन्तिम तिथि पूर्णिमा कहलाती है।  इस दिन चन्द्र देव अपनी सोलह कलाओं सहित आकाश में उपस्थित होते है।  यह तिथि व्रत-पूजा, तीर्थ यात्रा तथा पवित्र नदियों में स्नान के लिये अति शुभ मानी जाती है। पूर्णिमा भगवान विष्णु की प्रिय तिथि है, इसलिये इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है।  इस दिन भगवान विष्णु के सत्यनारायण रूप की पूजा की जाती है।  भगवान विष्णु का यह रूप मनुष्य को सत्य का पालन करना सिखाता है।   ..read more
Visit website

Follow हिन्दी कक्ष on FeedSpot

Continue with Google
Continue with Apple
OR