Ulook Times Blog
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Ulooktimes is a Hindi Poetry blog started by Dr. Sushil Kumar Joshi in September 2009. The blog offers a collection of poetry and associated information. It focuses on topics related to poems and poetry. Ulooktimes is an excellent platform for those who have an interest for Hindi poetry and seek genuine, heartfelt compositions.
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3d ago
माहौल पर नहीं लिखेंगे कुछ भी
कुछ इधर की लिखेंगे कुछ उधर की लिखेंगे
वो कुछ अपनी लिखेंगे हम कुछ अपनी लिखेंगे
लिखेंगे और रोज कुछ लिखेंगे
धूप बहुत तेज है हो लू से मरे आदमी मरे
हम पेड़ पर लिखेंगे उसकी छाँव पर लिखेंगे
आंधी से उड़ गयी हो छतें गरीबों की रहने दें
हम ठंडी हवा लिखेंगे और गाँव लिखेंगे
कोई झूठ बोले बोलता रहे हम सच पर लिखेंगे
सच की वकालत पर लिखेंगे हम पड़ताल लिखेंगे
मर रहे हैं लोग बीमारियों से मरें और मरते रहें
हम लिखे में अपने सारे हस्पताल लिखेंगे
तीन बंदरों की नयी बात लिखेंगे
गांधी और नेहरू को पडी लात की सौगात लिखेंगे
तीन बंदरों को   ..read more
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1w ago
बहुत ही छोटी सी बात है समझ में नहीं आती है
प्राथमिकताएं हैं लेखन में हैं सब की नजर आती हैं
जो कुछ भी है कुछ अजीब है बस तेरे ही आस पास ही है
बाकी सब के आस पास बस जन्नत है खबर आती है
सब की खुशी में अपनी खुशी है होनी ही चाहिए
सारे खुशी से लिखते हैं खुशी लिखे में है नजर आती है
खुदा सब की खैर करे भगवान भी देखें सब ठीक हो
ईसा मसीह भी है की खबर पता नहीं कहाँ है नहीं आती है
‘उलूक’ सब के दिमाग हैं सही हैं अपनी ही जगह पर हैं
बस तेरे लिखे में ही है कुछ सीलन सी नजर आती है
चित्र साभार: https://www.biography.com ..read more
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2w ago
किससे कहें क्या कहें
यहाँ तो कुछ भी समझ में ही नहीं आता है
ढूंढना शुरू करते हैं
जहां कोई भी अपना जैसा नजर नहीं आता है
सोच में तेरी ही कुछ खोट है ऐसा कुछ लगता है
सबका तुझे टेढ़ा देखना बताता है
सामने वाला हर एक सोचता है अपनी सोच
तुझे छोड़ हर कोई तालियाँ बजाता है   ..read more
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3w ago
नाकारा होगा तू खुद
तुझे पता नहीं होगा
नक्कारखाना कहता है जिसे तू
वहां तूती बजाना तेरे लिए ही आसान होगा
अब तक तो निगल लेनी चाहिये थी
तुझे भी गले में फंसी हड्डीयां
तुझ सा बेवकूफ यहाँ नहीं होगा तो कहां होगा
सोच ले
सपने में भी हर कोई जहां
किसी बीन की आवाज के बिना भी
कदम ताल कर रहा होगा
शर्म तुझे आनी चाहिए वहां
किसलिए अपने आसपास के लेनदेन को
रोज खुली आँखों से तू क्यों देखता होगा
पढ़ने वाले तेरे लिखे को पढ़े लिखे ही होते होंगे
उन्हें भी सारा सब कुछ सही समय पर
मालूम होता ही होगा
रेंकता रह गधा बन कर
दिखाने के लिए गधे चारों और के अपने
गधा भी इस सब के लिए कुछ तो कर रहा होगा
और  ..read more
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1M ago
सारी किताबें खुली हुई हैं
स्वयं बताएं खुद अपना पन्ने को पन्ने
शक्कर देख रही कहीं दूर से
लड़ते सूखे सारे गन्नों से गन्ने
सच है सारा पसर गया है
झूठ बेचारा यतीम हो गया है
बता गया है बगल गली का
एक लंबा लंबा सा नन्हे
चश्मा लाठी धोती पीटे सर अपना ही
एक चलन हो गया है
बुड्ढा सैंतालिस से पहले का एक
आज बदचलन हो गया है
बन्दर सारे ही सब खोल कर बैठे हैं
अपना सारा ही सब कुछ
आँख नहीं है कान नहीं है
मुंह पर भी अब कपड़ा भींचे सारे बन्ने
आँखे दो दो ही सबकी आँखें
कौआ ना अब वो कबूतर हो गया है
मत लिख मत कह अपनी कुछ
उससे पूछ जो तर बतर हो गया है
ईश्वर है है ईश्वर मंदिर मूरत छोड़ कर
आज वो एक नश्वर हो गया है
नश्वर ..read more
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3M ago
शीशे के घर में बैठ कर
आसान है बयां करना उस पार का धुंआ
खुद में लगी आग
कहां नजर आती है आईने के सामने भी तभी
बेफ़िक्र लिखता है
सारे शहर के घोड़ों के खुरों के निशां लाजवाब
अपनी फटी आंते और खून से सनी सोच
खोदनी भी क्यों है कभी
हर जर्रा सुकूं है
महसूस करने की जरूरत है लिखा है किताब में भी
सब कुछ ला कर बिखेर दे सड़क में
गली के उठा कर हिजाब सभी
पलकें ही बंद नहीं होती हैं कभी
पर्दा उठा रहता हैं हमेशा आँखों से
रात के अँधेरे में से अँधेरा भी छान लेता है
क़यामत है आज का कवि  ..read more
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3M ago
मयकशी ही जरूरी है किस ने कह दिया
समय के साथ भी कभी कुछ बहकना सीख
कदम दिल दिमाग और जुबां लडखडाती हैं कई बिना पिए
थोड़ा कुछ कभी महकना सीख
दिल का चोर आदत उठाईगीर की जैसी  ..read more
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4M ago
सारे काले कौवे
सारे कहना ठीक नहीं
बहुत सारे कहें ज्यादा अच्छा है
बहुत सारे भी कहें
फिर भी प्रश्न उठता है
कितने सारे
एक झुण्ड ढेर सारे कौवों का
नीले आसमान में
कांव कांव से गुंजायमान करता
हर दिशा को
क्या दिशाहीन कहा जाएगा
नहीं
झुण्ड का कौआ नाराज नहीं हो जाएगा
हर किसी काले के लिए संगीतमय है
ये शोर नहीं है
ये तो समझा करो यही भोर है
एक चमगादड़ उल्टा लटका हुआ
कोने में अपने खंडहर के किसी
सोच रहा पता नहीं क्यों
बस मोर है
मोर कहां झुण्ड में रहते हैं
मस्त रहते हैं नाचते गाते पंख फैलाते  ..read more