हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ संस्मरण – मेरी यादों में जालंधर – भाग-15 – थियेटर की दुनिया के खुबसूरत मोड़ ! ☆ श्री कमलेश भारतीय ☆
साहित्य एवं कला विमर्श
by Hemant Bawankar
11h ago
श्री कमलेश भारतीय  (जन्म – 17 जनवरी, 1952 ( होशियारपुर, पंजाब)  शिक्षा-  एम ए हिंदी, बी एड, प्रभाकर (स्वर्ण पदक)। प्रकाशन – अब तक ग्यारह पुस्तकें प्रकाशित । कथा संग्रह – 6 और लघुकथा संग्रह- 4 । ‘यादों की धरोहर’ हिंदी के विशिष्ट रचनाकारों के इंटरव्यूज का संकलन। कथा संग्रह – ‘एक संवाददाता की डायरी’ को प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से मिला पुरस्कार । हरियाणा साहित्य अकादमी से श्रेष्ठ पत्रकारिता पुरस्कार। पंजाब भाषा विभाग से  कथा संग्रह- महक से ऊपर को वर्ष की सर्वोत्तम कथा कृति  ..read more
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हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ आतिश का तरकश #234 – 121 – “मुफ़लिस  मुद्दत से  हिसाब लगा रहा…” ☆ श्री सुरेश पटवा ‘आतिश’ ☆
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by Hemant Bawankar
11h ago
श्री सुरेश पटवा (श्री सुरेश पटवा जी  भारतीय स्टेट बैंक से  सहायक महाप्रबंधक पद से सेवानिवृत्त अधिकारी हैं और स्वतंत्र लेखन में व्यस्त हैं। आपकी प्रिय विधा साहित्य, दर्शन, इतिहास, पर्यटन आदि हैं। आपकी पुस्तकों  स्त्री-पुरुष “, गुलामी की कहानी, पंचमढ़ी की कहानी, नर्मदा : सौंदर्य, समृद्धि और वैराग्य की  (नर्मदा घाटी का इतिहास) एवं  तलवार की धार को सारे विश्व में पाठकों से अपार स्नेह व  प्रतिसाद मिला है। श्री सुरेश पटवा जी  ‘आतिश’ उपनाम से गज़लें भी लिखते हैं ।प्रस्तुत है आपका साप्ताहिक स्तम्भ  ..read more
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हिन्दी साहित्य – मनन चिंतन ☆ संजय दृष्टि – उस भील स्त्री की तरह ☆ श्री संजय भारद्वाज ☆
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by Hemant Bawankar
11h ago
श्री संजय भारद्वाज (श्री संजय भारद्वाज जी – एक गंभीर व्यक्तित्व । जितना गहन अध्ययन उतना ही  गंभीर लेखन।  शब्दशिल्प इतना अद्भुत कि उनका पठन ही शब्दों – वाक्यों का आत्मसात हो जाना है।साहित्य उतना ही गंभीर है जितना उनका चिंतन और उतना ही उनका स्वभाव। संभवतः ये सभी शब्द आपस में संयोग रखते हैं  और जीवन के अनुभव हमारे व्यक्तित्व पर अमिट छाप छोड़ जाते हैं।  हम आपको प्रति रविवार उनके साप्ताहिक स्तम्भ – संजय उवाच शीर्षक  के अंतर्गत उनकी चुनिन्दा रचनाएँ आप तक  पहुँचा रहे हैं। सप्ताह के अन्य दिवसों पर आप उनके मनन चिंतन को  ..read more
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हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ “श्री हंस” साहित्य # 112 ☆ गीत – ।। मैं तो भारत भाग्य  विधाता हूँ, मैं इक कर्तव्यनिष्ठ मतदाता हूँ ।। ☆ श्री एस के कपूर “श्री हंस” ☆
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by Hemant Bawankar
11h ago
श्री एस के कपूर “श्री हंस” ☆ “श्री हंस” साहित्य # 112 ☆ ☆ गीत – ।।मैं तो भारत भाग्य  विधाता हूँ, मैं इक कर्तव्यनिष्ठ मतदाता हूँ।। ☆ श्री एस के कपूर “श्री हंस” ☆ ☆ [1] तू भारत भाग्य विधाता रखता मताधिकार है। तेरे वोट से ही तो चुनी जातीअच्छी सरकार है।। मतदान के दिन परम कर्तव्य है यह तुम्हारा। वोट देकर दिखाना तुझे   अपना सरोकार है।। [2] मैं भारत भाग्य विधाता हूँ,मैं इक  मतदाता हूँ। वोट से अपने देश की   पहचान मैं बनाता हूँ।। उँगली का काला निशान भाग्य रेखा  देश की। देकर वोट अपना मैं     पहला फ़र्ज़ निभाता हूँ।। [3 ..read more
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हिन्दी साहित्य – कविता ☆ साजिदा ☆ डॉ. अनिता एस. कर्पूर ’अनु’ ☆
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by Hemant Bawankar
11h ago
डॉ. अनिता एस. कर्पूर ’अनु’ (डॉ. अनिता एस. कर्पूर ’अनु’ जी  बेंगलुरु के नोबल कॉलेज में प्राध्यापिका के पद पर कार्यरत हैं एवं  साहित्य की विभिन्न विधाओं की सशक्त हस्ताक्षर हैं। आपकी प्रकाशित पुस्तकों में मन्नू भंडारी के कथा साहित्य में मनोवैज्ञानिकता, एक कविता संग्रह (स्वर्ण मुक्तावली), पाँच कहानी संग्रह,  एक उपन्यास (फिर एक नयी सुबह) विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं। इसके अतिरिक्त आपकी एक लम्बी कविता को इंडियन बुक ऑफ़ रिकार्ड्स 2020 ..read more
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हिन्दी साहित्य – आलेख ☆ अभी अभी # 351 ⇒ नकल का अधिकार… ☆ श्री प्रदीप शर्मा ☆
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by Hemant Bawankar
11h ago
श्री प्रदीप शर्मा (वरिष्ठ साहित्यकार श्री प्रदीप शर्मा जी द्वारा हमारे प्रबुद्ध पाठकों के लिए साप्ताहिक स्तम्भ “अभी अभी” के लिए आभार।आप प्रतिदिन इस स्तम्भ के अंतर्गत श्री प्रदीप शर्मा जी के चर्चित आलेख पढ़ सकेंगे। आज प्रस्तुत है आपका आलेख – “नकल का अधिकार…“।) अभी अभी # 351 ⇒ नकल का अधिकार… श्री प्रदीप शर्मा  नकल का अधिकार © copyright ..read more
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हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ काव्य धारा # 174 ☆ ‘चारुचन्द्रिका’ से – कविता – “गुण बढ़ा नाम जग में कमाना” ☆ प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’ ☆
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by Hemant Bawankar
11h ago
प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’ (आज प्रस्तुत है गुरुवर प्रोफ. श्री चित्र भूषण श्रीवास्तव जी  द्वारा रचित एक भावप्रवण रचना  – “गुण बढ़ा नाम जग में कमाना” । हमारे प्रबुद्ध पाठकगण प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’ जी  काव्य रचनाओं को प्रत्येक शनिवार आत्मसात कर सकेंगे।)  ☆ ‘चारुचन्द्रिका’ से – कविता – “गुण बढ़ा नाम जग में कमाना” ☆ प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’  ☆ ☆ सोचो, समझो औ’ मन को टटोलो तुम्हें किस राह जीवन में जाना? राहें कई हैं जो मन को लुभाती औरों के कहे में तुम न आना ॥1 ..read more
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मराठी साहित्य – कवितेचा उत्सव ☆ “अडाणी —” ☆ सुश्री मंजुषा सुनीत मुळे ☆
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by Hemant Bawankar
11h ago
सुश्री मंजुषा सुनीत मुळे  कवितेचा उत्सव  ☆ “अडाणी —” ☆  सुश्री मंजुषा सुनीत मुळे  ☆ ☆ स्वामी तुमची मी एक अडाणी भक्त काहीतरी सारखे मागणे हेच माहिती फक्त ।। फुले आणुनी तुम्हा सजवते निगुतीने अन दीप लावते सोपस्कारही सारे करते मन दंग परी इतरत्र मी एक अडाणी भक्त ।। सवयीनेच  मी पूजा करते काम समजुनी कधी उरकते  ..read more
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मराठी साहित्य – विविधा ☆ हनुमंत आमुची कुळवल्ली ☆ श्री संदीप रामचंद्र सुंकले ‘दास चैतन्य’ ☆
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by Hemant Bawankar
11h ago
श्री संदीप रामचंद्र सुंकले ‘दास चैतन्य’  विविधा  ☆ हनुमंत आमुची कुळवल्ली ☆ श्री संदीप रामचंद्र सुंकले ☆ रामायणात हनुमंताची भूमिका फार मोलाची राहिली आहे. रामाच्या कार्यात अग्रभागी आणि अतितत्पर कोण असेल तर तो एकमेव  ..read more
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मराठी साहित्य – जीवनरंग ☆ “डिंपी” ☆ श्री मंगेश मधुकर ☆
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by Hemant Bawankar
12h ago
श्री मंगेश मधुकर जीवनरंग  ☆ “डिंपी” ☆ श्री मंगेश मधुकर  ..read more
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