Islam Ilm
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4y ago
किताबों में आया हैं की एक बार हज़रत बीबी फ़ातिमा बीमार हो गयी I हज़रत अली शेरे खुदा आपके पास आये तो आपने उनसे पूछा- आपको किसी चीज़ के खाने की ख्वाहिशें हो तो बताओ? बीबी फ़ातिमा ने फ़रमाया ! इस वक़्त मेरा अनार खाने का मन कर रहा हैंI बीबी फ़ातिमा की ख़्वाहिश सुनकर हज़रत अली दिल ही दिल में तड़प उठेI क्यूंकि उनके पास अनार खरीदने के पैसे नहीं थेI बहरहाल आप बहार निकले और किसी तरह पैसो का इंतेज़ाम करके बाजार पहुंचे और एक अनार खरीद कर घर की तरफ लौट ही रहे थे की रास्ते में एक फ़क़ीर मिला I जिसके दोनों हाथ नहीं थे और वह काफी बीमार लग रहा थाI उस फ़क़ीर को देख कर आप ठहर गएI ..read more
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4y ago
इस्लाम पाक व साफ़ मज़हब हैं। वह पाकीज़गी को पसंद करता हैं। जहाँ क़ुरान व हदीस में रूह को पाक व साफ़ करने रखने के तरीके बताये गए हैं, वही बदन को भी पाक साफ़ रखने की सख्त ताकीद आयी हैं। बदन को साफ़ पाक रखना भी ईमान का एक अहम हिस्सा हैं, क्यूंकि बदन की पाकी के बिना कोई इबादत अदा व मकबूल नहीं हो सकती। पाकी नापाकी के सिलसिले में सही जानकारी न होने की वजह से अक्सर लोग बहुत सी नेकियों से महरूम रह जाते हैं। आपने खुद सुना होगा की किसी को नमाज़ के लिए मस्जिद चलने के लिए कहा तो जवाब मिला अरे साहब ! चलता तो ज़रूर लेकिन क्या करुँ नापाक हो गया हूँ। कपड़ो पर छींटे लग गए हैं। मालूम होना चाहिए की नापाक पानी या पेशाब ..read more
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4y ago
बाबुल (ईरान का एक शहर) के लोग बुतों की पूजा किया करते थेI वहां आज़र नाम का एक आदमी बहुत खूबसूरत बुत बनाया करता थाI लोग उसकी बड़ी इज़्ज़त किया करते थेI उसके घराने में एक दिन एक लड़का पैदा हुआ I जिसका नाम इब्राहिम रखा गया I बच्चे की परवरिश एक अमीरज़ादे की हैसियत से होने लगी I बच्चा तेज़ी से बढ़ने लगा I बचपन से ही उसने अपने घर में मूर्तियों का कारखाना देखना शरू कर दिया I बच्चा कुछ बड़ा हुआ तो सोचने लगा यह सब क्या हैं?लोग इसका क्या करेंगे? कुछ और बड़ा होने पर पता चला की घर में बनने वाली यह मूर्तियां बुतखानो में पहुँच कर देवता बन जाती हैं I ..read more
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4y ago
शहद एक अनमोल नेमत हैं जो खुदा ने इस दुनिया को अता की हैंI शहद की खूबियों का ज़िक्र क़ुरान में भी किया गया हैंI आईये हम बात करते हैं इससे होने वाले कुछ फायदों के बारे में, कब्ज़रात को सोने से पहले 20 ग्राम शहद 200 ग्राम उबले मामूली गर्म दूध में मिलाकर पिएI दूध को उबाले नहीं बल्कि सिर्फ गर्म करे, फिर ठंडा हो जाने पर उसमे शहद मिला कर पिए I इंशाअल्लाह कब्ज़ दूर हो जायेगा I पीलिया भूरे या लाल रंग के 10 ग्राम शहद में 5 ग्राम आंवले का चूरन मिलायेI दिन में 2 से 3 बार चाटे इंशाअल्लाह पीलिया खत्म हो जायेगा I ..read more
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5y ago
कुर्बानी अल्लाह के दो महबूब बन्दों हज़रत इब्राहिम अलैहिस्सलाम और हज़रत इस्माइल अलैहिस्सलाम की सुन्नत व यादगार हैं। जिसे बरक़रार रखने के लिए अल्लाह पाक ने अपने प्यारे रसूल की उम्मत पर कुर्बानी वाजिब फ़रमाई हैं। जिस पर फ़ितरा वाजिब हैं। उस पर कुर्बानी भी वाजिब हैं। बल्कि कुर्बानी तो उन लोगो पर भी वाजिब हो जाएगी, जिनके पास क़ुर्बानी के दिनों में निसाब जितना माल मौजूद हो। हर हैसियतदार आदमी को कुर्बानी करना ज़रूरी हैं। जो हैसियत रखते हुए भी कुर्बानी न करे उसके लिए अल्लाह के रसूल ने अपनी नाराज़गी ज़ाहिर फरमाते हुए फ़रमाया ! ऐसा आदमी हमारी ईदगाह के करीब न आये। कुर्बानी 3 दिन होती हैं बकरा ईद की 10,11 और 12 ..read more
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5y ago
बेटियां हमारे लिए अल्लाह की नेअमत व रहमत हैं। लेकिन अफ़सोस आज दुनिया ने अपने गलत ख़यालो और रस्मो की वजह से उन्हें अपने लिए मुसीबत समझ लिया हैं। इस्लाम ही दुनिया का वाजिब मज़हब हैं। जिसने माँ बहनो और बेटियों की इज़्ज़त अफ़ज़ाई की और उनकी परवरिश तालीम व तर्बियत और खिदमत पर दुनियां व आख़िरत की बशारते सुनाई। लेकिन आज की नयी पीढ़ी में आज उन्हे पैदा होने से पहले ही मारकर उन्हें जीने के हक़ से महरूम किया जा रहा हैं। जिस की खबरे हम आये दिन सुनते रहते हैं। आइये इस माहौल में हम पैगंबरे इस्लाम हज़रत मोहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम के पैग़ामे रहमत सुने और अपनी इस्लाह की कोशिश करे। हज़रत बीबी आईशा रदियल्लाहो ..read more
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5y ago
दोस्ती एक बहुत बड़ी निस्बत (रिश्ता) हैं। दोस्ती निभाने के लिए बहुत बड़ी क़ुरबानी भी देनी पड़ती हैं। लेकिन आज दोस्ती का मतलब बिलकुल बदल गया हैं। लोग अपनी ज़रूरत और काम के हिसाब से दोस्ती करते हैं, और मतलब निकल जाने के बाद अलग और दूर हो जाते हैं। बुज़ुर्गो ने फ़रमाया, ऐसे आदमी से दोस्ती मत करो जो तुम्हारी कमज़ोरियाँ ऐब न बताये और तुम्हारी कमज़ोरियों को तुम्हारी खूबियां बताये। बल्कि दोस्त ऐसे बनाओ जो तुम्हे तुम्हारी कमज़ोरियों से ख़बरदार करता रहे ताकि तुम सुधर जाओ और गुनाहो से बच सको। लेकिन आज हाल यह हैं की अगर कोई इंसान उसके दोस्त की गलती या उसके अंदर की कोई बुराई बताये तो पल में लोग उससे मुँह मोड़ लिया क ..read more
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5y ago
पीठ पीछे किसी की बुराई बयां करने को ग़ीबत कहा जाता हैं। यह गुनाहे कबीरा हैं। क़ुरान शरीफ में ग़ीबत करने वाले को अपने मुर्दा भाई का गोश्त खाने वाला जैसा कहा गया हैं। यह बीमारी इतनी आम हो चुकी हैं की लोग इस से बिलकुल नहीं डरते न इसके अंजाम की परवाह करते हैं। ग़ीबत की नसुहात से ईमान की हरारत खत्म हो जाती हैं। मरते वक़्त ईमान खतरे में रहता हैं। ग़ीबत करने वाले की दुआ कबूल नहीं होती। ग़ीबत से नमाज़ और दूसरी इबादतों का नूर खत्म हो जाता हैं। ग़ीबत करना तो ज़िना से भी बदतर गुनाह हैं। गीबत करने वाले को जहन्नम में मुर्दार खाना पड़ेगा। ग़ीबत के बारे में एक दिन अल्लाह के रसूल ने सहाबा से पूछा क्या तुम जानते हो की ग़ ..read more
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5y ago
पिछली पोस्ट में हमने लैलतुल कद्र या शबे क़द्र के बारे में बताया था। आज हम इस रात की इबादतों के बारे में बात करेंगे। इस रात की खास इबादत क़ुरान की तिलावत और नफ्ली नमाज़े व ज़िक्र हैं। इसलिए कुछ वक़्त तिलावत में बिताये कुछ नफ्ली नमाज़े पढ़े। और कुछ देर इस रात की खास दुआ अल्लाहुम्मा इन्नका अफुउन तुहिब्बुल अफ़्व फअफ़ो अन्नी पढ़े। 4 रकात नमाज़ इस तरह पढ़े की हर रकात में एक बार अल्हम्दो शरीफ एक बार इन्ना अन्ज़लना और 27 बार कुल्हुवल्लाह शरीफ पढ़े इंशाल्लाह अल्लाह करीम आपको गुनाहो से पाक फरमा देगा। कम से कम 2 रकात ही खुलूस के साथ इस तरह पढ़े की हर रकात में सूरह फातेहा के बाद 1 बार इन्ना अन्ज़लना और 3 ..read more
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5y ago
रमज़ान महीने की एक रात को लैलतुल कद्र कहा गया हैं। जो खैर व बरकत के एतबार से हज़ार महीनों से भी अफ़ज़ल रात हैं। उसी लैलतुल कद्र को कहीं कहीं शबे कद्र भी कहा जाता हैं। तो कुछ जगह इसे 27 वी शब भी कहा जाता हैं। हदीस के मुताबिक यह रात रमज़ान की 21, 23, 25, 27, 29 वी रात में से कोई एक रात हैं। कुछ बुज़ुर्गो ने 27 ..read more